Wednesday, May 27, 2020

Evidence in the speech of various saints that they met God Kabir./विभिन्न संतों की वाणी में प्रमाण कि उन्हें कबीर साहेब साक्षात मिले थे।

Evidence in the speech of various saints that 
they met God Kabir.
विभिन्न संतों की वाणी में प्रमाण कि उन्हें कबीर साहेब साक्षात मिले थे।

पूर्ण परमेश्वर, सर्व सृष्टी रचनहार, कुल करतार तथा सर्वज्ञ कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ही है जो काशी (बनारस) में कमल के फूल पर प्रकट हुए तथा 120 वर्ष तक वास्तविक तेजोमय शरीर के ऊपर मानव सदृश शरीर हल्के तेज का बना कर रहे तथा अपने द्वारा रची सृष्टी का ठीक-ठीक (वास्तविक तत्व) ज्ञान देकर सशरीर सतलोक चले गए।
कबीर परमेश्वर ने धर्मदासजी  को सृष्टि रचना के बारे में समझाते हुए कहा है कि,
"धर्मदास यह जग बौराना। कोइ न जाने पद निरवाना।।
            यहि कारन मैं कथा पसारा। जगसे कहियो राम नियारा।।
                        यही ज्ञान जग जीव सुनाओ। सब जीवोंका भरम नशाओ।।


"गरीब, सेवक हो करि ऊतर, इस पथ्वी के माहीं। जीव उधारन जगतगुरु , बार बार बलि जांहि।।
गरीबदास जी ने इस वाणी में बताया है की परमात्मा कबीर (सेवक) दास बनकर ऊपर आकाश में अपने निवास स्थान सतलोक से गति करके उतरकर नीचे पृथ्वी के ऊपर आए। उद्देश्य बताया है कि जीवों का काल जाल से उद्धार करने के लिए जगत गुरू बनकर प्रकट हुए थे।

गरीब दास जी महाराज गाँव छुड़ानी जिला झज्जर वाले को परमात्मा 10 वर्ष की आयु मे मिले सतलोक दिखाया तब गरीब दास जी ने अपनी वाणी मैं कहा है
हम सुल्तानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जाति जुलाहा भेद न पाया वह काशी माहि कबीर हुआ।

गरीबदास महाराज वह प्रत्यक्षदर्शी
संत है जिन्हें कबीर परमेश्वर ने सतलोक के दर्शन कराए तथा अपनी महिमा से परिचित कराया।
पूर्ण  परमेश्वर की सच्चाई से परिचित होने के बाद गरीब दास जी महाराज ने कबीर परमेश्वर की महिमा बताते हुए कहा है कि:- गरीब, जाके अर्ध रूम पर सकल पसारा, ऐसा पूर्ण ब्रह्म हमारा।।
गरीब, अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार। सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सृजनहार।।
कबीर परमेश्वर ही सृष्टि के सिरजनहार हैं।

आदरणीय गरीब दास जी को कबीर परमात्मा मिले थे, उन्होंने अपनी वाणीयों में अनेको प्रमाण दिए है की कबीर जी ही पूर्ण परमात्मा है, जिसने सब सृष्टि की रचना की।
"गरीब, जल थल पृथ्वी गगन में बाहर भीतर एक। पूर्ण ब्रह्म कबीर है, अबिगत पुरूष आलेख।"

संत गरीबदास जी ने काशी में प्रकट परमात्मा कबीर को पहचान कर उनकी महिमा अपनी वाणियो में बताई,जो उन्हें  स्वयं कबीर परमेश्वर जी द्वारा बताई गयी थी, 
गरीब, हम ही अलख अल्लाह है, कुतूब गोस और पीर।
 गरीबदास खालिक धनी हमरा नाम कबीर।।

आदरणीय धर्मदासजी(बांधवगढ़, MP वाले) को कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के रूप में मथुरा में मिले।।
धर्मदासजी की वाणी है- हिन्दू के तुम देव कहाये, मुसलमान के पीर।
दोनों दीन का झगड़ा छिड़ गया, टोहे ना पाये शरीर।।

संत दादूजी को कबीर परमात्मा मिले, उन्होंने अपनों वाणियो में स्पष्ट बताया है की कबीर जी ही कर्ता है सर्व सृष्टि रचनहार हैं 

“कबीर कर्ता आप हैं,दूजा नाहिं कोए।
दादू पूरण जगत को,भक्ति दृढावत सोए।।”

“अबही तेरी सब मिटे, जन्म मरण की पीर।
स्वांस उस्वांस सुमिरले, दादू नाम कबीर।।”

आदरणीय दादू साहेब जी ने अपनी वाणी में कहा है कि :-
जिन मोकुं निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार। दादू दूसरा कोए नहीं, कबीर सृजनहार।।
इस वाणी से स्पष्ट है कि कबीर साहेब ही सर्व सृष्टि के रचनहार है।

श्री नानकदेवजी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब बेई नदी पर मिले। उनको सतलोक लेकर गये। उनको सतगुरु रूप में दो अख्खर का मंत्र सतनाम दिया। इसी कारण सिक्ख समाज सतनाम, वाहेगुरु बोलते है।

परमेश्वर कबीर साहिब जी नानक जी को सुल्तानपुर के पास बेई नदी पर मिले उन्हें सच्चखंड(सतलोक) दिखाया फिर उन्होंने फरमाया कि *खालक आदम सिरजिआ, आलम बडा कबीर, सजदे करे खुदाई नूं, आलम बडा कबीर*

(श्री गुरु ग्रन्थ साहेब, पृष्ठ नं. 721, महला 1, राग तिलंग)
 आदरणीय नानक साहेब जी की वाणी में लिखा हैं कि :-
यक अर्ज गुफतम पेश तो दर कून करतार। हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदिगार।।

 सर्व का रचनहार, दयालु,  सर्व सुखदाई परमात्मा कबीर साहेबजी है।

मलूक दास जी को पूर्ण परमात्मा 42 वर्ष की आयु में मिले थे, तथा उन्हें सतलोक लेकर गए। सभी लोकों से परिचित कराया तथा सत्य ज्ञान से परिचित करवाकर नाम उपदेश दिया और सतलोक दिखाया।
तब मलूक दास ने अपने अमृतवाणी में कहा, जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप में नानकदेवजी,दादूदयालजी,गरीबदासजी,सुल्तान अधम इत्यादि को मिले जिसका प्रमाण गरीबदासजी की वाणी में मिलता है।
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माहि कबीर हुआ।।

104 वर्ष की आयु में रामानंद जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब मिलें। सत्य ज्ञान समझाकर तथा सतलोक दिखाया।तब रामानंद जी ने अपनी अमरवाणी में कहा कि,
दोहूं ठौर है एक तूं,भया एक से दोय। गरीबदास हम कारणैं उतरे हैं मघ जोय। बोलत रामानंद जी, सुन कबीर करतार। गरीबदास सब रूप में, तू ही बोलनहार।।

गरुड़ जी को हुए परमात्मा के दर्शन
"कबीर सागर" के गरुड़ बोध में कबीर परमेश्वर द्वारा पक्षीराज गरुड़ जी को शरण में लेने का विवरण मिलता है। 
परमेश्वर कबीर जी ने गरुड़ जी को शरण में लेकर सतभक्ति प्रदान की थी।


"कबीर सागर" के जगजीवन बोध में परमेश्वर कबीर जी द्वारा राजा जगजीवन सहित उसकी 12 रानियों, 4 पुत्रों को शरण में लेने का विवरण है। उनको कबीर परमेश्वर ने सत उपदेश देकर मोक्ष मार्ग प्रदान किया था।

"कबीर सागर" के भोपाल बोध में विवरण मिलता है 
जालंधर नगर के राजा भोपाल को परमेश्वर कबीर साहेब ने शरण में लेकर सतभक्ति प्रदान की, सतलोक दिखाया। साथ ही राजा भोपाल की 9 रानियों, 50 पुत्रों और एक पुत्री को शरण में लेने का विवरण है।


कबीर परमेश्वर जी अब्राहिम अधम सुल्तान जी को मिले और सार शब्द का उपदेश कराया। 
कबीर सागर के अध्याय " सुल्तान बोध" में पृष्ठ 62 पर प्रमाण है:- 
प्रथम पान प्रवाना लेई। पीछे सार शब्द तोई देई।।
तब सतगुरु ने अलख लखाया। करी परतीत परम पद पाया।।
सहज चौका कर दीन्हा पाना(नाम)। काल का बंधन तोड़ बगाना।।

हनुमान जी को भी मिले थे कबीर परमात्मा
कबीर सागर के "हनुमान बोध" में परमेश्वर कबीर साहेब द्वारा हनुमान जी को शरण में लेने का विवरण है।
परमेश्वर कबीर जी ने हनुमान जी को शरण में लेकर उनमें सत्य भक्ति बीज डाला ।


त्रेता युग में कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से प्रकट हुए तथा नल व नील को शरण में लिया।
उनकी कृपा से ही समुद्र पर पत्थर तैरे।
धर्मदास जी की वाणी में इसका प्रमाण है,
रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।
धन्य-धन्य सत कबीर भक्त की पीड़ मिटाने वाले।

विभीषण और मंदोदरी को मिले थे परमात्मा
"कबीर सागर" में प्रमाण है कि त्रेतायुग में कबीर परमेश्वर जी मुनींद्र ऋषि के रूप में आए थे। विभीषण और मंदोदरी को शरण में लेकर उन्हें नाम उपदेश देकर सत्य भक्ति प्रदान की। पूरी लंका नगरी में केवल वे दोनों ही भक्ति भाव तथा साधु विचार वाले थे। जिस कारण उनका अंत नहीं हुआ।
 
सुपच सुदर्शन को मिले कबीर परमात्मा
द्वापर युग में परमात्मा कबीर जी करुणामय नाम से आए हुए थे। उस समय सुपच सुदर्शन को मिले, अनमोल ज्ञान देकर उन्हें सतलोक का वासी किया।



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